आपकी सोच ही आपके वर्तमान और भविष्य के समय का निर्माण करती है -समय अच्छा है या बुरा यह सब आपकी अपनी सोच पर निर्भर करता है एक ही क्षण में आप अपने समय को बहुत अच्छा और एक ही क्षण में आप अपने समय को बहुत और बहुत बुरा बना सकते हैं चलिए ए
क सरल उधारण से देखते हैं :
भाग १- एक बच्चा जो की एक कच्चे पक्के मकान में रहता है घर में अधिक सुख सुविधा भी नहीं है घर के सामने ही कुछ बच्चो के साथ खेलता है -उसको खेलता देख सामने बंगले में रहने वाला एक बच्चा जिसके पास खूब सुख सुविधा हैं खूब खेल खिलोने है देखता है और सोचता है -काश मैं भी इस बच्चे की तरह स्वतंत्रता से खेल पता -बंगले में रहने वाले बच्चे को घर से बहार निकलने की मनाही थी -बहार के बच्चो के साथ खेलने पर प्रतिबन्ध था -वह एक धनि और समृद्ध परिवार का बच्चा था समाज में सुरक्षा और स्टेटस को देखते हुए उस बच्चे पर अनेक प्रतिबन्ध थे -गली में स्वतंत्रता और प्रस्सनता से खेलते हुए उस बच्चे को देख उसकी आँखे भर आयी और उसके पास अनेक खेल खिलोने सब बेकार साबित हो गए सब सुख सुविधा शुन्य सी लगने लगी उसने सोचा उसकी किस्मत कितनी अच्छी है काश मैं भी स्वतंत्रता से खेल पता !
भाग -२ वहीँ दूसरी तरफ कच्चे घर में रहने वाला बच्चा भी यह सोचता है की काश मैं भी ऐसे घर में रहता मेरे पिता के पास भी मोटर कार होती और मेरे पास बहुत से खेल खिलोने होते और मैं भी उस बच्चे की तरह बहुत खुश रहता लेकिन क्या कर सकता हूँ मेरी तो किस्मत ही खराब है …
अब ध्यान देने वाली बात यह है की किस्मत किस बच्चे की खराब है -देखा जाये तो किस्मत किसी की खराब नहीं है केवल एक सोच ने दोनों किस्मत को खराब बना दिया -ठीक ऐसे ही हम अपनी सोच द्वारा अपने समय और किस्मत दोनों को खराब बना लेते हैं -हमें जरुरत है अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में सोचने की -हमारी आज की सोच ही हमारा वर्तमान और भविष्य का समय निर्धारित करती है
अमित कौशिक